Thursday, June 15, 2006

'सेल' में सरकार

लीजिए, दिल्ली सरकार अब पियोर व्यापारी हो गई है। का है कि जैसे दुकानदार सब होली-दीवाली पर सेल लगाता है न, वैसने दिल्ली सरकारो अब सेल लगाने लगी है। पहले चीजों का दाम ८० परसेंट बढ़ाकर स्टीकर चिपका दीजिए औरो फिर बड़का बैनर पर अप टू ७० परसेंट सेल लिखकर टांग दीजिए। जनता खुश! केतना सस्ता चीज मिल रहा। अब गिरहकट ने कैसे जेब काट लिया ई पता किसको चलता है!

तो भइया दिल्ली सरकार ने भी तेल के खेल में व्यापारी वाला बुद्धि लगाया। उसको पता था कि पेटरोल-डीजल का दाम बढ़ते ही लोग हाय-हाय करेंगे, सो ऐसा करो कि दाम एतना बढ़ा दो कि जब लोग हाय-हाय करने लगेंगे, तो थोड़ा दाम घटाकर वाहवाही लूट सको। अब सरकार का धंधा देखिए कि पेटरोल का चार टका दाम बढ़ा के ६७ पैसा का सेल लगा दिया, तो डीजल का दो टका दाम बढ़ा के २२ पैसा का सेल लगा दिया। और अब उ सीना तान रही है कि देखो, हम जनता का केतना चिंता करते हैं।

वैसे, इस सरकारी रवैया के लिए जनतो कम दोषी नहीं है। अब का है कि तनिये ठो छूट देख के आप समान लूटने के लिए टूट पडि़एगा, तो आपको कोयो बेकूफ बना सकता है। हमको तो इस तेल में दोसरे खेल नजर आता है। हमरे खयाल से सरकार ने अब पेटरोल कंपनी को छोड़कर पेटरोल पंप मालिक सब से दोस्ती कर ली है। तभी तो दाम घटा के ऐसा रखा है कि पेटरोल पंप मालिक को फायदा हो। अब का है कि आप जाइएगा एक लीटर पेटरोल भराने, जिसका दाम आपको देना पड़ेगा ४६ टका ८४ पैसा। आप इसके लिए काउंटर पर ४७ टका दीजिएगा, तो आप ही बताइए कि आपको १६ पैसा लौटा के कौन देगा? अगर दिन भर में हजार लीटर पेटरोल बिकता है, तो तनि पेटरोल पंप मालिक के फायदा का हिसाब लगा के देखिए। ऐसने हाल डीजल का है, जिसका दाम ३२ टका २५ पैसा रखा गया है। अब आप जब जाइएगा पेटरोल भराने, तो पंप मालिक आपको ७५ पैसा लौटाने के लिए २५ पैसा तो अपने घर में बनाएगा नहीं। मतलब आपको कम से कम २५ पैसा औरो बेसी से बेसी ७५ पैसा के घाटे की तो पूरी गैरंटी है। अब आप लगा लीजिए, पूरा हिसाब औरो दाद दीजिए सरकारी व्यापार बुद्धि को!

वैसे, सही बताऊं, तो हमको सरकार दिनोंदिन एकदम खांटी व्यापारी बनती नजर आ रही है। पिछले दिनों हमने पढ़ा कि सात दिन के अंदर हाउस टैक्स जमा कीजिए औरो १५ परसेंट का आकर्षक छूट पाइए। अब इसको भले सरकारी अफसर टैक्स जमा करने के लिए प्रोत्साहन का तरीका मानता हो, लेकिन हमको तो ई पियोर सेल लगता है। अरे भाई, एक तो कानून ही नहीं बनाइए औरो अगर बनाते हैं, तो उसका पालन करवाइए। उसमें काहे का छूट। जब तेल कमपनी सब को आप घाटा में नहीं भेजना चाहते, जनता को तेल के नाम पर सब्सिडी नहीं देना चाहते, तो टैक्स में सब्सिडी काहे का। हमरे खयाल से तो जनता से सब टैक्स वसूलिए औरो पैसा को तेल-पूल के घाटा से बाहर आने में लगाइए। लेकिन जनता को प्लीज जनता को ठगिए मत। का है कि हाउस टैक्स का उनको पांच टका छोड़कर आप उससे ३५ टका किलो परवल खरीदवाते हैं तो लानत है आप पर।

प्रिय रंजन झा

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