प्यास बुझाइए मल्लिका के 'कर्व' से
प्यास बहुते तरह की होती है। कोई धन की प्यास से पीड़ित होता है, तो कोई तन की प्यास से, लेकिन दिल्ली वाला सब आजकल एक ठो बड़की प्यास- पानी की प्यास से पीड़ित है। ऐसे में हम ई सुन के परेशान हूं कि तीसरा विश्व युद्ध पानिए के खातिर होगा।
वैसे, हमको प्यास ही नहीं, दूसरो चीज सब तेजी से बढ़ता दिख रहा है। दिल्ली का टम्परेचर बढ़ रहा है, क्राइम बढ़ रहा है, शेयर बाजार का सेंसेक्स बढ़ रहा है, तो सेक्स का सेंसेक्सो कम नहीं है। सोना की चमक देखकर लोग हैरान हैं, तो जिस चांदी को चोरो नहीं चुराता था, अब सोना से कमपिटीशन कर रहा है। और तो और किरकेटो पीछे नहीं है, रोज कोयो न कोयो पुराना रिकॉर्ड टूट जाता है, मतलब रन औरो विकेट की प्यास भी बढ़ रही है। अब जब एतना चीज के वास्ते तीसरा विश्व युद्ध नहीं होगा, तो ई बात हमरे समझ में नहीं आती कि पानी की खातिर तीसरा विश्व युद्ध काहे होगा!
हां, ई आश्चर्य की बात तो है ही कि बड़की-बड़की प्यास से परेशान नहीं होने वाले दिल्ली के लोग एक ठो छोटकी प्यास, यानी पानी के प्यास से परेशान हो जाते हैं! अरे, जब आप धन की प्यास, मन की प्यास और तन की प्यास से परेशान नहीं होते, तो नाचीज पानी के प्यास से काहे परेशान होते हैं? और जब पानी जैसन चीज आपको एतना परेशान करती है, तो जेतना पसीना आप धन औरो तन की प्यास बुझाने के लिए बहाते हैं, ओतना पसीना पानियो जमा करने के लिए बहा के देखिए, सरकार के भरोसे काहे रहते हैं? जब धन की प्यास बुझाने के लिए लीगल- इलीगल सब काम आप खुदे ढूंढते औरो करते हैं, तन की प्यास बुझाने के लिए घर से बाहर तक का चक्कर लगाते हैं औरो बियाग्रा तक की तस्करी करवाते हैं, तो पानियो का लीगल-इलीगल जुगाड़ खुदे कीजिए। आप ही बताइए कि ई कहां का नियम है कि अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने के लिए पसीना बहाए आप औरो कंठ सूखे तो आपको पानी पिलाए सरकार!
सरकार आपका केतना प्यास बुझाएगी। धन और तन की आपकी बढ़ती प्यास से दिल्ली सरकार पहिले से परेशान है। पैसा कमाने के लिए आपने अवैध निरमाण कराए, यमुना में घटिया केमिकल बहाए, गली-गली में ब्यूटी पार्लर औरो मसाज पार्लर खोलकर उसके आड़ में तन व धन दोनों की प्यास बुझाई, सरकार ने अपनी 'वोट की प्यास' को ध्यान में रखकर आपको अपनी ये सारी प्यास बुझाने भी दी-- उसने हाई कोर्ट में दिल्ली को हर दम साफ-सुथरा बताया। लेकिन दिक्कत ई है कि इस तरह उ कोर्ट के पावर की प्यास तो बुझा सकती है, लेकिन आपकी पानी की प्यास कभियो नहीं बुझा सकती, काहे कि पानी कागज पर नहीं आता। वैसे भी आपके कोर्ट में कागज चलता कहां है, आपको तो पानी से भरा बाल्टी चाहिए।
हमरी मानिए, सरकार को छोडि़ए बाजार से कोल्ड डिरिन्क खरीदकर अपनी प्यास बुझाइए। अब तो आपको वैसे भी खुश होना चाहिए, काहे कि 'भीगे होंठ...' वाली मल्लिका सहरावत आपके लिए बोतल बनकर बाजार में गई है। तो बोतल उठाइए औरो उसमें मल्लिका के 'कर्व' को महसूस कीजिए। एक चीज याद आया, काहे नहीं मल्लिका को पानी का पीस एम्बेसेडर बना दिया जाए, तीसरा विश्व युद्ध का खतरे टल जाएगा।
का कहे, ई कर्व से पानी की प्यास तो बुझ जाएगी, लेकिन तन की प्यास औरो भड़क जाएगी! तो भाई साहब आप ही बताइए, इसमें मल्लिका की का गलती है? उसकी भी अपनी प्यास है भई। धन की प्यास बुझाने के लिए तन को बोतल बनवाने को अपराध थोड़े कहिएगा। आप तो बस खुद को भाग्यशाली मानिए कि आप प्यासे हैं, वरना मल्लिका आपकी मुट्ठी में काहे होती और कहां से आप महसूस करते 'कर्व' को!
प्रिय रंजन झा
2 Comments:
बहुत पहले फ़िलिप्स वालों ने ऐसा ही कुछ लांच किया था - कर्वी टू-इन वन.
गोल-मटोल टू इन वन का विज्ञापन भी कुछ ऐसा ही था.
पर वह प्रॉडक्ट बुरी तरह फेल हो गया.
इमेजिनेशन की हदें पार कर लेते हैं कभी कभी लोग.
मुझे लगता है कि कर्वी बोतल को हाथ में लेकर तो एक आम भारतीय ग्राहक शरमाएगा ही और उसकी प्यास क्या ख़ाक मिटेगी इससे!
प्रिय रंजन झा जी,
आज के समय में बिना "कर्व" के आगे नहीं बढ़ा जा सकता ये तो कटु सत्य है |
विवेक रस्तोगी
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