Thursday, March 23, 2006

काहे का वसंत?

अब तो होली भी हो ली और वसंत भी लगभग बीतने वाला है। ऐसे में हमने सोचा कि ई आकलन किया जाए कि अब मौसम या परब जैसन चीज लोग सब पर कौनो असर करती है कि नहीं। लोग कहते हैं कि होली दुश्मनों को दोस्त बना देती है और वसंत प्यार-मोहब्बत वाला मौसम है, लेकिन हम इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि ई सब खाली कहने-सुनने की बात है। फैक्ट तो ई है कि मौसम और परब-उरब अब आदमी सब पर कुछो असर नहीं करता है।

अब देखिए अपने खुराना जी को, ऐन होली के मौके पर भाइयों ने उनको बेआबरू करके पार्टी से विदा कर दिया। अब बताइए, उनके लिए होली किस काम की? होली काम आती, तो शीला दीक्षित और रामबाबू शर्मा अभियो एक-दूसरे का टांग नहीं खींच रहे होते। शीला तो रंग-अबीर के साथ रामबाबू की जेब में अपने साथ ऑस्टेलिया चलने के लिए एयर टिकट ठूंस रही होतीं। ऐसने अगर होली काम की होती, तो जया बच्चन अभियो यहां संसद भवन के गलियारे में घूम रही होतीं। कलाकार सब को ससम्मान अपना सदस्य बनाने वाले संसद से उन्हें बेगाना होकर निकलना नहीं पड़ता। रंग-अबीर से काम चलता, तो सब बैर-भाव भूलकर सोनिया अपने खुर्राट चेला सब से कहतीं--होली जैसे हंसने-खेलने वाले परब के तुरंत बाद किसी को रुलाना ठीक नहीं। चलो रहने दो इनको राज्यसभा सदस्य, जब हम दो ठो पोस्ट पर रह सकती हूं, तो ई क्यों नहीं रह सकतीं?

और तो और अगर होली काम की होती, तो दूध की नदी बहाने वाले वर्गीज कुरियन अभियो अमूल दूध पी रहे होते। होली के हसीन मौका पर अगर उ अमूल बटर से अपने विरोधियों को नहीं मना सके, तो नेताओं की बटरिंग करके तो कुर्सी बचा ही सकते थे! परब पर तो बटरिंग को 'बाई डिफाल्ट' वाजिब माना जाता है।

बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि असली होली तब होती थी, जब रंग-अबीर के साथ मानवता का जशन मनाया जाता था। तब राजा सब होली से पहले सैकड़ों कैदियों को छोड़ देते थे औरो लोग मौत का बदला लेना भी भूल जाते थे। अब तो कोर्ट औरो सरकार होलियो के दिन गरीब जनता पर बुलडोजर चलाने की पलानिंग करती है औरो जिस आदमी के स्वस्थ रहने के लिए पूरा देश प्रार्थना करता है, उस 'सदी के महानायक' को एक अदना व्यापारी के जैसे ऐन होली के मौका पर इनकम टैक्स ऑफिस का चक्कर लगाना पड़ता है। सच कहूं, तो हमको तो कभियो-कभियो चिंता होने लगती है कि देश एतना सुधर जाएगा, तो इसका भविष्य का होगा!

अब तनिक वसंत की महिमा देखिए। अगर वसंत प्यार-मोहब्बत का मौसम होता, तो रानी को भूला करके अभिषेक भला ऐश्वर्या की जनम कुंडली काहे मिलवा रहे होते? कम से कम अभिषेक ममता बनर्जी से तो सीख ले ही सकते थे। जैसन ममता ने कांगेस को बंगाल में और राजग को दिल्ली में चुनावी हनीमून के लिए परपोज किया, वैसने परपोजल अभिषेक रानी और ऐश्वर्या को भी दे सकते थे। वसंत में नया प्यार होने का मतलब ई थोड़े है कि आप गरमी में हुए प्यार को भूल जाइए? वैसे, हमको कांग्रेस सबसे ज्यादा वसंत विरोधी दिख रही है। अब देख लीजिए, अमर भैया का पूरा वसंत खराब करने का आरोप उसी पर लगा है कि नहीं। का है कि वसंत जैसन मौसम में उनके जैसन रसिया का अगर टेलिफोन टेप हो रहा है, तो प्यार-मोहब्बत को लेकर शिवसेना औरो कांग्रेस में कहां कौनो फरक रह जाता है।

और तो और अगर वसंत में एतना ही प्यार बरसता, तो वसंतोत्सव पर पाकिस्तान पहुंच करके जार्ज बुश मुशर्रफ को वर्दी उतारने के लिए गरिया काहे रहे होते? तब तो बसंती बयार में बौरा करके मुश बुश से कहते-- प्यारे इस डरेस में तुम खूब जमते हो, जनम भर इसे ही पहने रहो। वसंती बयार केतना फीका हो गया है, इसका परमाण ई भी है कि सचिन जैसे भगवान को उनके बम्बे वालों, मतलब 'मराठी मानूषों' ने भी ऐन वसंत के महीने में हूट कर दिया! अब ई तो वसंत की औकात हो गई है कि बीस-पच्चीस रन उस पर भारी पड़ रहा है। अब आप ही बताइए, काहे की होली और काहे का वसंत?
Article: PRJ

1 Comments:

At 3:51 PM, Blogger अनुनाद सिंह said...

केतना बढिया ढंग से लिखे हैं , मन पढ के खुश हो गया | इ त कई गो टी.भी. के हास्य कार्यक्रमो से भी अधिक मजेदार लगता है |अईसहीं लिखते रहिये |

 

Post a Comment

<< Home