Thursday, June 01, 2006

किसकी गरमी काम की

आजकल दिल्ली गरम है। एतना गरम कि पूछिए मत, जीना मुहाल हो रहा है। का है कि अगर खाली सूरज की गरमी बर्दाश्त करना हो, तो आप कर लीजिएगा, लेकिन यहां तो गरमी पैदा करने वाला बत्तीस ठो कारण जमा है। कोयो सत्ता की गरमी दिखा रहा है, तो कोयो आंदोलन की, कोयो बहिष्कार की, तो कोयो डीप क्लीवेज की।

का है कि राजधानी में रहने का यही नुकसान है- बात कहीं की हो, भुगतना आपको पड़ता है। अब देखिए न आमिर खान पर बैन लगाया गुजरात ने, उ रहते बम्बे में हैं, लेकिन झगड़ा में पसीना बहा रहे हैं दिल्ली के लोग। हमरे एक लाल झंडा वाले दोस्त इस मुद्दा पर दो बार पिटे- एक बार तब, जब दारू पी के फना पर बैन को अभिव्यक्ति के अधिकार पर हमला बता रहे थे औरो दूसरा बार तब, जब पंजाब में दा विंची कोड पर बैन को वाजिब ठहरा रहे थे। ऐसने हाल राखी सावंत मामले का है। उन पर कोल्हापुरी चप्पल चला कहीं और, लेकिन क्लीवेज की लंबाई पर बहस गरमा रहा है दिल्ली में। आरक्षण का फायदा-नुकसान भुगतना होगा देश भर के लोगों को, लेकिन वातावरण सबसे गरम है दिल्ली में। अब ऐसन में हमरी समझ में ई नहीं आ रहा कि गरमी के इन सब सोर्स में सबसे बेसी पावर किस में है?

इसमें कोयो शंका नहीं कि सत्ता में बहुते गरमी होती है। तभिये न चुन-चुन के वैसन पोस्ट सब को आफिस आफ परॉफिट से बाहर कर दिया यूपीए वालों ने, जिनसे उनके किसी भाई-बंधु का नुकसान हो रहा था। जया बच्चन के पास भी सत्ता की गरमी होती, तो सरकार को उनकी सीट में परॉफिट थोड़े दिखता। लेकिन इससे पहिले कि हम सत्ता की गरमी को सबसे पावरफुल समझते, राष्ट्रपति ने आफिस आफ परॉफिट वाला बिलवे लौटा के सब कुछ ठंडा कर दिया!

राष्ट्रपति ने सत्ता की गरमी को कम कर दिखाया, तो कोर्ट आरक्षण की गरमी को डीप फ्रिजर में घुसा रहा है। अब आठ हफ्ता बाद जब कोर्ट इस मामले को सुनेगा, तब तक तो दिल्ली में सावन आ जाएगा, इसलिए इसकी चर्चे बेकार है।

गरमी तो हमको आमिर भाई में भी खूब दिखा था। 'रंग दे वसंती' का चल गई, कुछ बेसिए टेढि़या गए। न आगे देखे औरो न पीछे, कूद पडे़ नर्मदा घाटी में। अब ई फिल्मी परदा तो है नहीं कि हीरो सिक्की पहलवान है, तभियो ऊ गामा पहलवान को हरा देगा। जनता से पंगा लेने वालों को तो भगवानो नहीं बचाते हैं, सो पड़ गए भइया फेर में। सब गरमी खतम हो गई, तो अब कहते फिर रहे हैं कि मैंने गुजरात के बारे में कुछ बोलवे नहीं किया था। बात कहकर मुकरना पड़ जाए, तो भैया ऐसन गरमी किस काम की?

आमिर से बेसी बढि़या, तो राखी सावंत की गरमी रही, जो अभियो तक कायम है। उनकी गरमी तो देखिए कि टेढ़ी बात करने वाले एंकर बड़े-बड़े सूरमा का पसीना निकाल देते हैं, लेकिन राखी की गरमी के सामने उनका पसीना निकल गया। सही बताऊं, तो हमको सबसे बेसी गरमी राखी में ही दिखती है। एनर्जी का बड़का सोर्स। बताइए, खाली देह देखके सैकड़ों लोग दंगा पर उतर आया, इससे बड़ी बात और का हो सकती है। वैसे, आश्चर्य हमको इसका है कि एतना मजबूत चप्पल बनाने वाले कोल्हापुर के लोग, एतना कमजोर पेंदी वाले कैसे हो गए! एक हम दिल्लीवाले हैं, जो रोज रोड पर राखी सावंतों को देखते हैं, लेकिन कर कुछ नहीं पाते हैं!

प्रिय रंजन झा

2 Comments:

At 5:30 PM, Blogger अनुनाद सिंह said...

अरे का भैया ? सुन रहे हैं कि बारिश-ओरिश भी हुई है ; का गरमी तभियो ओतने है ?

 
At 12:11 PM, Anonymous Anonymous said...

ki ho Jhaji,
bahute mast likhe hain..
likhte rahiye.. yahan bombai mein to bahute garmi hai !!

Binit Jha

 

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