Tuesday, September 19, 2006

कितने अजीब रिश्ते हैं यहां

किसी रिलेशन की शुरुआत जब होती है तो हर समय उस रिश्ते का अहसास हमें घेरे रहता है. उसे पहले प्यार की खुमारी और न जाने क्या क्या कहा जाता है. कुछ को हंसी-हंसी में यहां तक कहते कि ये शुरुआती पागलपन होता है जो वक्त के साथ दूर हो जाता है. वाकई... वक्त बीतता है तो हंसी-मजाक हकीकत का रुप लेकर सामने होता है. ऐसे में सपने का सा अहसास देने वाले उस मीठे रिश्ते को वास्तविकता से रिलेट कर पाना आसान नहीं होता. तब शुरु होता है सच्चाई को स्वीकार कर पाने का असली सफर और रिश्ते की सही स्वरुप में जीने की असली परीक्षा. कुछ इस परीक्षा में खरे उतरते हैं तो कुछ रिश्तों के कठोर प्रश्नों के बीच उलझ कर रह जाते हैं.

कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पे.... दो पल मिलते हैं साथ-साथ चलते हैं, जब मोड़ आए तो बचके निकल हैं....

1 Comments:

At 11:40 PM, Blogger Manish Kumar said...

सही कहा आपने ! रिश्तों को बनाने से ज्यादा कठिन उन्हें निभाना है खासकर तब जब पीछे का परिदृश्य मीठे ख्वाबों से बदल दौड़ती भागती जिम्मेवारियों वाली जिंदगी में तब्दील हो जाए ।

 

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