Saturday, December 24, 2005

गांगुली को क्रिसमस का तोहफा

क्रिसमस के दिन बच्चों के चहेते सेंटा क्लॉज उन्हें कोई उपहार न दें भला ऐसा कैसे हो सकता है. सेंटा भी आज के दिन अपने किसा बच्चे को दुखी और मुंह लटकाए बैठा नहीं देख सकते. उनके पिटारे में सभी के लिए कुछ न कुछ ऐसा होता है जिनसे बच्चों के मुरझाए चेहरे खिल जाते हैं. तभी तो कहते है कि सेंटा किसी न किसी रूप में आकर अपने प्रिय बच्चों को खुशियां दे जाते हैं.

ऐसा ही एक तोहफा क्रिसमस के त्योहार पर गांगुली दादा को भी मिला, जिससे पिछले कई हफ्तों से मुरझाए उनके चेहरे पर फिर से मुस्कान लौट आई. गांगुली दादा के लिए आज चयन समिति के अध्यक्ष किरन मोरे सेंटा क्लॉज के रूप में आकर उन्हें उनका मनपसंद तोहफा दे ही गए.

सौरभ गांगुली को टीम में वापस शामिल करने के चयन समिति के फैसले से न सिर्फ गांगुली प्रसन्न हैं, बल्कि क्रिकेट के दीवाने उनके चाहनेवालों ने भी राहत की सांस ली है. दिल्ली टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद अहमदाबाद टेस्ट में गांगुली को शामिल नहीं किए जाने के चयन समिति के फैसले की देश भर में काफी आलोचना हुई थी, जो यकीनन सही थी. ये सही है कि गांगुली ने कोच और कप्तान के बीच के झगड़े को सरासर मीडिया के सामने लाने की गलती थी, लेकिन इस गलती की सजा उन्हें कप्तानी गंवा कर भुगतनी पड़ी थी. गांगुली को भी अपनी गलती का अहसास हो गया था, पर अहमदाबाद टेस्ट में जिन दलीलों के आधार पर गांगुली को टीम से बाहर किया गया था, उसे भी वाज़िब नहीं कहा जा सकता था.

गांगुली की प्रतिभा को लेकर शायद ही किसी के मन में शंका हो. लेकिन अहमदाबाद टेस्ट के लिए गांगुली को बाहर किए जाते समय चयनकर्ताओं के अध्यक्ष किरण मोरे उनके अनुभव और ढेरों रनों को नजरअंदाज कर गए थे. इस फैसले से गांगुली के भविष्य पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया था.
ये सही है कि व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर टीम भावना जरूरी है और गांगुली ने इसे भूलने की गलती की थी. खैर अब जबकि गांगुली को टीम में शामिल कर लिया गया है तो यही कहा जा सकता है कि अंत भला तो सब भला. उम्मीद है कि पिछले गलतियों से सबक सीख कर आने वाले नए साल में खिलाड़ी और क्रिकेट से जुड़े लोग राजनीति से ऊपर उठकर टीम के हित को सर्वोपरि मानकर काम करेंगे.

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