भ्रष्ट बताने का तरीका
आज तक चैनल ने कल कथित रूप विस्फोट किया, लेकिन क्या वाकई यह विस्फोट है? मुझे नहीं लगता। मेरा मानना है कि इसमें कुछ ऐसे सरल व सीधे सांसद फंस गए हैं, जो चुग्गा को पहचान नहीं पाए। ऐसी बात नहीं है कि यह चुग्गा सिर्फ इन्हीं सांसदों को मिला और ये फंस गए, वास्तव में स्टिंग ऑपरेशन करने वाली टीम ने कइयों को निशाना पर लिया होगा, लेकिन जो सीधे थे, वे इसमें फंस गए। हमें यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि जितने सांसद मामले में फंसते दिख रहे हैं, उनमें से ज्यादातर अब तक साफ-सुथरे चरित्र वाले रहे हैं और उन पर कभी कोई गंभीर आरोप नहीं लगे हैं। जबकि दूसरी ओर, इसी संसद में ऐसे कई सांसद हैं, जिन पर देशद्रोह का आरोप न सिर्फ लगा है, बल्कि साबित भी हो चुका है, लेकिन उन्हें कोई कुछ कहने वाला नहीं है। स्टिंग टीम की असफलता इस बात में भी दिखती है कि उसने जिस तरह के प्रश्न को उठाने के लिए कथित रूप से पैसा दिया था, वे बेहद ही सामान्य किस्म के थे और उन प्रश्नों के उत्तर जानकर कोई किसी तरह का लाभ नहीं उठा सकता। मेरे खयाल से यह ऑपरेशन तब ज्यादा सफल कहा जाता, जब किसी गंभीर व विवादास्पद मामले को उठाने के लिए कोई सांसद रिश्वत लेता। हमें यह बात माननी ही पड़ेगी कि हमारे यहां के अधिकांश सांसद बेईमान और भ्रष्ट हैं। विश्वास कीजिए अगर वे ऐसा नहीं होंगे, तो वे जीतकर संसद पहुंच ही नहीं सकते। अपने देश में बिना किसी तगड़े पॉलिटिकल बैकग्राउंड या आर्थिक सपोर्ट के चुनाव लड़ना और उसे जीतना असंभव नहीं तो मुश्किल जरूर है। ऐसे में आप तभी चुने जाते हैं, जब आप हर विद्या में पारंगत हों। सांसदों को अपने क्षेत्र में विकास के काम करवाने के लिए हर साल एक बड़ी राशि मिलती है। हकीकत यह है कि इतनी बड़ी राशि का एक बड़ा हिस्सा जिले का कलक्टर और सांसद महोदय की जेब में जाता है, लेकिन उस पर किसी का ध्यान नहीं जाता। मेरा मानना है कि भ्रष्टाचार ऐसी चीज नहीं है कि आप पतीले में खौलते चावल में से एक को निकालकर चावल के पकने का अंदाजा लगा सके। आज तक का यह खुलासा यह साबित नहीं करता कि सभी सांसद बेईमान हैं और न ही यह कि इस ऑपरेशन में जो नहीं पकड़ाए, वे ईमानदार हैं।
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