राज्यों की सांस्कृतिक झलक दिखाता मेला
हर साल प्रगति मैदान में लगने वाला व्यापार मेला दिल्ली के मुख्य आकर्षण है. न सिर्फ दिल्लीवासियों के लिए बल्कि देश भर के लोगों में यह खासा लोकप्रिय है. पिछले कुछ सालों में व्यापार मेले का आकर्षण काफी बढ़ गया है. 14 नवम्बर से शुरू होकर दो सप्ताह तक चलने वाले मेले में लोगों का हुजूम बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.
देश भर के अलग-अलग राज्यों का एक ही जगह पर एकत्रित होना जहां हमारे देश की सांस्कृतिक झलकी दर्शाता हैं, वहीं यह इस मेले का मुख्य आकर्षण भी है. हर साल मेले में हिस्सा लेने आए विभिन्न राज्यों के पैवेलियनों को सजावट दर्शकों को अपनी ओर खींचती है. लेकिन इस बार मेले में दर्शकों को राज्यों के पैवेलियनों की विशिष्ट सांस्कृतिक छवि देखने को मिलेगी.
व्यापार मेले में भाग ले रहे राज्यों ने अपनी विशिष्ट पहचान से दर्शकों को रूबरू कराने और उन्हें आकर्षित करने के लिए अपने अपने मंडपों को अनूठे अंदाज में सजाया है। मेले में कहीं आपको संसद भवन दिखाई पड़ेगा तो कहीं आप देख सकेंगे फतेहपुर सीकरी का बुलंद दरवाजा या आमेर के किले का गणेशपोल।
भारतीय व्यापार सवंर्द्धन संगठन द्वारा आयोजित 25वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के रजत जयन्ती वर्ष का थीम 'ऊर्जा और संचार' रखा गया है. इसी को देखते हुए अधिकांश राज्यों ने अपने क्षेत्रों में हुई प्रगति को दर्शाने का प्रयास किया है.
इस बार मेले में फोकस राज्य के रूप में शामिल होने वाले पश्चिम बंगाल ने अपने मंडप पर बडे़ अक्षरों में लिखा है 'लुक ईस्ट'।
मेले में बाहर से आने वाले दर्शक ने अगर संसद भवन को न देखा हो तो दिल्ली के मंडप की ओर अवश्य आकर्षित होगा। दिल्ली के मंडप को संसद भवन का रूप दिया गया है।
उत्तर प्रदेश ने अपने मंडप को फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे से निखारा है।
सभी राज्यों ने मेले की थीम का विशेष ध्यान रखा है और अपने-अपने राज्यों में ऊर्जा एवं संचार के क्षेत्रों में हुई प्रगति को खासतौर से दर्शाया है.
इन सब के अलावा मेले में राज्यों के हस्तकलाओं की ओर दर्शकों रुझान अधिक होता है.
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