कला व स्थापत्य की अनुपम कृति है अक्षरधाम

दिल्ली की सांस्कृतिक स्मारकों में प्राचीन भारतीय कला व स्थापत्य की अनुपम कलाकृति अक्षरधाम मंदिर का नाम भी जुड़ गया है. पूर्वी दिल्ली में यमुना किनारे बनाए गए इस भव्य स्मारक को 6 नवम्बर को माननीय राष्टपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने देश को समर्पित किया.
100 एकड़ में फैले हल्के गुलाबी रंग के रेतीले पत्थरों और सफेद संगमरमर से बना है जिसके भीतर स्वामी नारायण की विशालकाय मूर्ति रखी है. यह मंदिर भारतीय सांस्कृतिक कला की अद्भूत मिसाल पेश करता है. इस मंदिर की भव्यता और खूबसूरती देखते ही बनती है.
इसकी भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 100 एकड़ की विशाल क्षेत्र में बने मंदिर की इमारत 141 फुट ऊंची, 370 फुट लंबी है और 316 फुट तक फैली है. इसकी खासियत है कि इसकी इमारत पत्थर के 148 हाथियों की पीथ पर टिकी हुई है. यही नहीं मंदिर में सैकड़ों खंभे और करीब हजारों देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों की पत्थर की मूर्तियां हैं.
मंदिर की भव्यता व खूबसूरती से दिल्लीवासी ही नहीं सभी अभिभूत हैं. इसकी भव्यता को देखकर राष्टपति कलाम ने तो यहां तक कहा कि ऐसा लग रहा है मानो मैं किसी दूसरे लोक में हूं. राष्टपति ने इसे अध्यात्म और समाज सेवा का उत्कृष्ट नमूना व धर्म और विज्ञान का अनूठा संगम बताया.
वैसे तो देश-विदेश में बने अक्षरधाम मंदिरों की स्थापत्य कला की अपनी एक अलग पहचान है. लेकिन दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर इस मायने में और भी खास है चूंकि 45 विभिन्न देशों में बने करीब 650 मंदिरों में यह सबसे विशाल है. अक्षरधाम मंदिरों की यह विशेषता है कि इनके निर्माण में सीमेंट और धातु का प्रयोग नहीं किया जाता. रात में मंदिर की छटा में म्यूजिक फव्वारों से निकती वेद-मंत्रों की गूंज के साथ देखते ही बनती है.
एक ओर जहां मंदिर की खूबसूरती यहां आने वालों को अपनी ओर आकर्षित करती है, वहीं यह एक ज्ञान का केंद्र भी है. यही नहीं यहां आने वालों को वेद, गीता और पुराण शास्त्रों की जानकारी देने की भी पूरी व्यवस्था है.
तो कहना न होगा कि यह वाकई इतिहास, तकनीक, संस्कार व उच्च विचारों का अद्भूत नमूना है.
1 Comments:
वाह क्या बात है। अगली भारत यात्रा में एक जगह जाना तो पक्का हो गया। अच्छा जानकारी के लिए शुक्रिया।
पंकज
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