Thursday, October 20, 2005

हादसों का शहर

आजकल कोई दिन ऐसा नहीं बीत रहा, जिस दिन देश की राजधानी के अखबारों में बलात्कार की खबर पढ़ने को न मिल रही हो. अभी दो दिन पहले ही दिल्ली में नौकरी की तलाश में आई एक युवती के साथ चार लोगों के सामूहिक बलात्कार की खबर आई, तो आज पुजारी द्वारा एक महिला को नशीला पदार्थ खिलाकर बलात्कार किए जाने की खबर अखबार की सुर्खियों में हैं. पिछले सप्ताह भी दो बड़ी घटनाएं घटी थीं. आए दिन हो रही इन बलात्कार की घटनाओं ने शहर की नींद उड़ा रखी है खासकर महिलाओं की. (पढ़ेः राजधानी का एक दिन) दिल्ली जैसे महानगर में जहां स्कूल- कॉलेज जाने वाली युवतियों व कामकाजी महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है, ऐसे में दिनों-दिन असुक्षित बनते जा रहे शहर में महिलाएं एक अनजाने खौफ के साये में जीने के लिए मजबूर हैं.

3 Comments:

At 7:19 PM, Blogger Tarun said...

mile sur mera tumhara to sur bane humara......Congrats! and Welcome.

Akbar khan ki film ka ye gaana (ur post title) mumbai ke saath saath delhi per bhi fit bhaithta hai....

 
At 4:34 PM, Anonymous Anonymous said...

यार! अब दिल्ली तो रेप सिटी बन गयी है। हर दिन कोई ना कोई रेप की खबर सुनाई दे ही जाती है। पता नही क्या हो गया है दिल्ली को।

यही हाल रहा तो दिल्ली मे बसने से पहले लोग दस बार सोचेंगे।

 
At 4:06 PM, Anonymous Anonymous said...

lagay raho mayray share .isi tarah dahaad lagatay raho.iski gunj poorar bhaarat may sunai daygi


rahul vats

 

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